गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोक्ष ।
गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मिटे न दोष।
कबीर दास जी ने गुरु का कद कितना बड़ा होता है सिर्फ चंद शब्दों में बता दिया है । आज शिक्षक दिवस है और आज के दिन मैं अपने सभी शिक्षकों को आदरपूर्वक प्रणाम करना चाहता हूँ जिनके मार्गदर्शन से मैंने जीवन में उपलब्धियां प्राप्त की हैं. अगर हम सभी के जिंदगी में आप जैसे गुरु नहीं होते तो शायद आज हम सब जिंदगी के जिस भी मकाम पर है,नहीं पहुँचते.
आज मैं जो कुछ भी हूँ सिर्फ आप सभी के आशीर्वाद की ही बदौलत हूँ.
हर प्रकार से नादान थे हम,
गीली मिट्टी के समान थे हम।
आकार देकर हमें घड़ा बना दिया,
अपने पैरों पर खड़ा कर दिया।
आपने संसार से हमें परिचय कराया,
आपने हमें भले-बुरे का आभास कराया।
अथाह संसार में हमें अस्तित्व दिलाया,
दोष निकालकर सुदृढ़ व्यक्तित्व बनाया।
अपनी शिक्षा के तेज से,
हमें आभा मंडित कर दिया।
अपने ज्ञान के वेग से,
हमारे उपवन को पुष्पित कर दिया।
गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मिटे न दोष।
कबीर दास जी ने गुरु का कद कितना बड़ा होता है सिर्फ चंद शब्दों में बता दिया है । आज शिक्षक दिवस है और आज के दिन मैं अपने सभी शिक्षकों को आदरपूर्वक प्रणाम करना चाहता हूँ जिनके मार्गदर्शन से मैंने जीवन में उपलब्धियां प्राप्त की हैं. अगर हम सभी के जिंदगी में आप जैसे गुरु नहीं होते तो शायद आज हम सब जिंदगी के जिस भी मकाम पर है,नहीं पहुँचते.
आज मैं जो कुछ भी हूँ सिर्फ आप सभी के आशीर्वाद की ही बदौलत हूँ.
हर प्रकार से नादान थे हम,
गीली मिट्टी के समान थे हम।
आकार देकर हमें घड़ा बना दिया,
अपने पैरों पर खड़ा कर दिया।
आपने संसार से हमें परिचय कराया,
आपने हमें भले-बुरे का आभास कराया।
अथाह संसार में हमें अस्तित्व दिलाया,
दोष निकालकर सुदृढ़ व्यक्तित्व बनाया।
अपनी शिक्षा के तेज से,
हमें आभा मंडित कर दिया।
अपने ज्ञान के वेग से,
हमारे उपवन को पुष्पित कर दिया।
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